सबसे बड़े अर्थव्यवस्था वाले देशों के सम्मेलन G7 में आज बड़ा ऐलान होने वाला है। ये सभी देश corona माहमारी की भीषण कहर को देखने के बाद भविष्य के लिए ऐक्शन प्लान को दुनिया के सामने रखने वाले हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य भविष्य में पैदा होने वाली किसी भी महामारी के टीकों को विकसित करने के लिए आवश्यक समय को 100 दिनों से कम करना है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान दुनिया को इसकी पहली वैक्सीन पाने के लिए लगभग 10 महीनें का इंतजार करना पड़ा था।
Corona महामारी औऱ चीन से मिल रही चुनोतियाँ दुनियॉ की 7 बड़ी विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी, इटली और कनाडा शामिल हैं। ... इस बार से शिखर सम्मेलन के लिए जी-7 के अध्यक्ष के नाते ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को आमंत्रित किया है।इसकी पहली शिखर बैठक 1975 में हुई थी लेकिन तब इसके सिर्फ 6 सदस्य थे। 1976 में कनाडा भी इसके साथ जुड़ गया जिसके बाद इसे 'ग्रुप ऑफ सेवन' नाम मिला।
चीन
चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवथा है, फिर भी वो इस समूह का हिस्सा नहीं है. इसकी वजह यह है कि यहां दुनिया की सबसे बड़ी आबादी रहती हैं और प्रति व्यक्ति आय संपत्ति जी-7 समूह देशों के मुक़ाबले बहुत कम है.
रूस
साल 1998 में इस समूह में रूस भी शामिल हो गया था और यह जी-7 से जी-8 बन गया था. लेकिन साल 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया हड़प लेने के बाद रूस को समूह से निलंबित कर दिया गया था.
इंडिया
जी-7 की Uk ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि के रूप में इस सम्मेलन में आमंत्रित किया है। कोरोना महामारी को मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 12 और 13 जून को इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले हैं। इस वर्ष 'बिल्ड बैक बेटर' विषय पर चर्चा की जाएगी। जिसके अंतर्गत भविष्य में आने वाली महामारियों के खिलाफ लड़ने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना है।
Chin को फ़िक्र
चीन को सबक देना जरूरी है क्या अमरीका इस बात को गुप्त रूप से मीटिंग में शामिल करेगा या यही महत्पूर्ण दिशा है । जिस औऱ दुनिया को एक करना जरूरी है।
वायरस महामारी को लेकर चीन की वुहान वायरोलॉजी लैब एक बार फिर चर्चा में है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जानलेवा वायरस इसी लैब से निकला है। हालांकि, चीन इस बात से साफ इनकार करता रहा है। लेकिन, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच करने के आदेश दिए जाने के बाद इस लैब का नाम फिर उछला है।
वन हैल्थ वन वर्ल्ड _मोदीयह एक ऐसा समन्वित माॅडल है जिसमें पर्यावरण स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य तथा मानव स्वास्थ्य का सामूहिक रूप से संरक्षण किया जाता है। यह मॉडल महामारी विज्ञान पर अनुसंधान, उसके निदान और नियंत्रण के लिये वैश्विक स्तर पर स्वीकृत मॉडल है जो पूरी दुनिया मे एक हो।
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